AHSEC| CLASS 12| HINDI (MIL)| SOLVED PAPER - 2020| H.S. 2ND YEAR

 

AHSEC| CLASS 12| HINDI (MIL)| SOLVED PAPER - 2020| H.S. 2ND YEAR

2020
HINDI
(MIL)
(MODERN INDIAN LANGUAGE)
Full Marks: 100
Pass Marks: 30
Time: Three hours
The figures in the margin indicate full marks for the questions.

 

1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:      5

साथ दो बच्चे भी हैं हाथ फैलाए,

बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,

और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।

भूख से सूख ओठ जब जाते

दाता-भाग्य-विधाता से क्या पाते?

घूंट आँसुओं के पीकर रह जाते।

चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,

और झपट लेने को उनसे

प्रश्न:

(i) भिखारी के साथ कौन हैं? 1

उत्तरः भिखारी के साथ उनके दो बच्चे हैं।

(ii) वे किस प्रकार आगे बढ़ रहे हैं? 1

उत्तरः वे अपने बाएँ हाथ से खाली पेट को मलते हुए और दाएँ हाथ को भीख माँगने के लिए फैलाए हुए आगे बढ़ रहे हैं।

(iii) बच्चे दानियों से क्या प्राप्त करना चाहते हैं? 1

उत्तरः भिक्षुक के दोनो बच्चे, दानियों की दया-दृष्टि पाने के लिए उनसे भीख में कुछ प्राप्त करने के लिए अपने हाथ फैलाए रहते हैं ताकि उनसे प्राप्त भीख से अपना पेट भर सकें।

(iv) 'घूट आँसुओं के पीकर रह जाते' कवि ने ऐसा क्यों कहा? 1

उत्तरः अपनी विवशता और समाज एवं भाग्य की क्रूरता के कारण भिक्षुक और बच्चे अपने ख को रोकर व्यक्त करने के सिवा और कुछ नहीं कर सकते।

(v) कुत्ते बच्चों से क्या झपटने के लिए अड़े हुए हैं?  1

उत्तरः कुत्ते बच्चों से अमीरो द्वारा फेंकी गई जूठी पतलो झपटने के लिए अड़े हुए हैं |

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:    15

परिस्थितियाँ मानव के उत्थान-पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कभी कभी व्यक्ति पर वे इस कदर हावी हो जाती हैं कि व्यक्ति चलना छोड़ देता है और उसके विकास की गति अवरुद्ध हो जाती है। वह परिस्थितियों से हार मान बैठता है। यह स्थिति तभी पैदा होती है जब हम परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी होने देते हैं, उनकी गुलामी स्वीकार कर लेते हैं। यदि हम यह मान लें कि परिस्थितियाँ तो हमारी दास हैं तो विषम से विषम परिस्थितियाँ भी हमें हमारे मार्ग से विचलित नहीं कर सकतीं। हर व्यक्ति में इतनी शक्ति है कि वह प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना ले। पर असल चीज तो हमारा अपना आत्मविश्वास है, जिसके सहारे हम बड़ी से बड़ी कठिनाई का भी सामना कर सकते हैं। आदमी को हिम्मत और उसका आत्मविश्वास उसे जीवन-संग्राम में विजय दिलाता है।

प्रश्न:

(i) परिस्थितियों के हावी होने का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है? 2

उत्तरः परिस्थितियों के हावी होने का व्यक्ति पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है, व्यक्ति चलना छोड़ देता है और उसके विकास की गति अवरुद्ध हो जाती है। वह परिस्थितियों से हार मान बैठता हैं।

(ii) व्यक्ति परिस्थितियों को कब अपने अनुकूल बना सकता है?  2

उत्तरः व्यक्ति परिस्थितियों को तब अपने अनुकूल बना सकता है जब वह परिस्थितियों के को अपने ऊपर हावी ना होने दे। और हर व्यक्ति में इतनी शक्ति है कि वह प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना सकता हैं।

(iii) विषम से विषम परिस्थितियाँ भी किस स्थिति में हमें विचलित नहीं कर पातीं? 2

उत्तरः विषम से विषम परिस्थितियों भी हमे हमारे मार्ग से विचलित नहीं कर सकती।

(iv) व्यक्ति को जीवन-संग्राम में कौन विजय दिलाता है? 2

उत्तरः व्यक्ति को जीवन संग्राम में हिम्मत और उसका आत्मविश्वास विजय दिलाता है।

(v) गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 1

उत्तरः इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है- व्यक्ति और परिस्थितियाँ

(vi) निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए:  2

हावी होना, अवरुद्ध, विषम, विचलित। 

उत्तरः हावी होना - नियंत्रण करना ।

अवरूद्ध - रूका हुआ, बाघित

विषम - कठिन, मुश्किल

विचलित बेचैन, परेशान

(vii) विपरीतार्थी शब्द लिखिए:      2

उत्थान, गुलाम, अनुकूल, विजय।

उत्तरः उत्थान पतन

गुलाम - आज़ाद

विजय - पराजय

अनुकूल - प्रतिकूल

(viii) गद्यांश में से एक सरल वाक्य छाँटिए।    2

उत्तरः आदमी को हिम्मत और उसका आत्मविश्वास उसे जीवन-संग्राम में विजय दिलाता है।

3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए:  10

(क) आतंकवाद

(भूमिका- आतंकवाद का अर्थ और रूप-भारत और आतंकवाद- मानवता का शत्रु आतंकवाद - उपसंहार)

उत्तरः भूमिका:- आतंकवाद आज विश्व की ज्वलंत समस्याओं में से एक हैं। यह विश्व के लगभग सभी देशों के लिए चिन्ता का विषय है। मानवता के शत्रु आतंकवाद से निपटने लिए विकशित देशों के पास पर्याप्त साधन मौजूद हैं। आतंकवाद से निपटने के लिए राष्ट्र संघ तथा विकसित देश अन्य देशों को सैनिक, आर्थिक तथा अन्य सहायता करना रहे हैं।

आतंकवाद का अर्थ:- 'आतंकवाद' अंग्रेजी के 'टेररिज्म' शब्द का हिन्दी पर्याय है। यह उग्रवाद, अलगाववाद, धमधिता, कट्टरवादिता आदि प्रवृत्रियों का हिंसक रूप है। शब्दकोश के अनुसार सरकार को उरवाड़ने के लिए गैरकानूनी हिंसा ही आतंकवाद हैं। परन्तु आज सरकार को उरवाड़ने की उपेक्षा उसकी कठिनाइयाँ, परेशानियाँ आदि बढ़ाना, अपना उद्देश्य प्त करने का अभिनव माध्यम बन गया है। वर्तमान सन्दर्भ में आतंकवाद एक ऐसा माध्यम है जिसके अन्तगर्त एक संगठित समूह अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए हिंसक कारवाइयों का सहारा लेता है।

आतंकवाद के रूप:- राजनैतिक दृढ़वादिता, धमधिता, वर्ग या सम्प्रदाय कट्टरवादिता आदि प्रवृत्तियाँ आतंकवाद के मूल आधार है। हिंसा, तोड़फोड़, दहशत, भय, लूट-पाट, अपहरण, आगजनी, बम-विस्फोर आदि इसके विभिन्न रूप है। सामान्यतः अपेक्षित मानवीय संवेदनाओं का इसमें अभाव है। दया, ममता, करूणा, सहानुभूति जैसी संवेदनाओं तथा वात्सल्य, स्नेह, प्रेम आदि भावों का आतंकवाद में कोई स्थान नहीं है। निर्दोष, निरीह आम लोगों को हान्या तथा अपहरण करनेवाले आतंकवादी वास्तव में मानवता के घोर शत्रु हैं।

भारत और आतंकवाद:- विगत लगभग आधी शताब्दी से भारत आतंकवाद के विषैले दंश को झेल रहा है। कभी स्थानीय अलगाववादी और उग्रवादी, कभी विदेशी भाड़े के टट्टू (विदेशों से धन, हथियार आदि सुविधाएँ पाने वाले) विभिन्न गुटों जैसे जैश-ए-मुहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तोएवा, हरकत-उल-अंसार, फिदायीन आदि ने भारत भर में आतंकवादी गतिविधियों का जाल फैलाया हुआ है। प्रायः प्रतिदिन रोंगटे खड़े करनेवाले और दर्दनाक समाचार संचार माध्यमों द्वारा प्रसारित होते रहते हैं।

भारत में आतंकवादी गुटः- असम में 'उल्फा' और 'वोडो', मेघालय तथा मणिपूर में अलगाववादी तत्न, पंजाब में बब्बर खालसा, कश्मीर में आतंकवादी गुटों को संग्या अत्यधिक है। आतंकवाद का वास्तविक निशाना जम्मू-कश्मीर रहा हैं, परन्तु अब कश्मीर और पाकिस्तान द्वारा संचालित अनेक गुट गुजरात, दिल्ली, मुंबई को भी अपना निशाना बना रहे हैं। दिल्ली की संसद, लालकिला, जम्मू का मंदिर, मुंबई की लोकल ट्रेनें, बड़े होटल तथा माल, दिल्ली के कई बाजार, अयोद्धा, वाराणसी आदि आंतकवादी कारवाईयों का निशाना बन चुके हैं। अब तक लाखों की संख्या में निर्दोष लोग अपने प्राण गँवा चुके हैं। अरबों रूपये की संपत्ति स्वाहा हो चुकी है। २६ नवम्बर, ०८ को मुम्बई में पाकिस्तानी आंतवादियों ने जो कहर बरपाया और देखते-देखते २७६ लोगों को भून डाला, इसे कैसे भुलाया जा सकता है। आज भी पाकिस्तान इसे नकारता आ रहा है। अब जल शीर्ष आंतकवादी संगठन 'अलकायदा' का सरगना २ मई २०११ को पाकिस्तान के सैनिक अण्डों के पास एटाबाबाद के एक विशाल भवन में अमेरिकी खुखिया तन्त्र द्वारा मारा गया है, तब विश्व का ध्यान भारत की पीड़ा की और गया है।

आतंकवाद मानवता का शत्रु:- आतंकबाद को संचालित करने वाले देश या गुट अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए सामान्य जनता में भय और आतंक फैलाने के लिए उसे ही अपना निशाना बनाते हैं। क्योंकि सामान्य जनता के पास उनका सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। आतंकवादियों के लिए मानव का कोई महत्व नहीं है। उनका कोई धर्म या जाति नहीं है। वे तो मानव को आंतक फैलाने के साधन में प्रयोग करते हैं। कभी उनकी सामूहिक हत्या करते हैं तो कभी सामूहिक अपहरण, कभी भीड़ भरे बाजारों में विस्फोट कर मानवता को लहूलुहान करते है तो कभी चलते रेलगाड़ियों में बम रखकर निर्दोष, निरीह यात्रियों को मौत के घाट उतारते हैं। इश प्रकार आतंकवाद और आंतकवादी मानवता के घोर शत्रु हैं।

उपसंहार:- संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि आतंकवाद एक प्रकार से मानवता के घोर शत्रु के रूप में ताडंप कर रहा है। विकासात्मक कार्यो, सरकारी कार्यालयों, त्यावसायिक केन्द्रों, जनहितकारी योजनाओं को छोड़कर देश की सुरक्षा एजेंसियों के लाखों कर्मचारियों को आंतकवादियों से जूझना पड़ रहा है। अब प्रत्येक देशवासी को संयुक्त रूप से दृढ़संकल्प और कर्तव्यनिष्ठा से आतंकवाद का सामना करना होगा। मुक्ति पाने का हर सम्भव प्रयास करना होगा। आझ आवश्यकता है कि सारा विश्व एकजुट होकर आंतकवाद और आतंकवादियों का सफाया करे।

(ख) परिश्रम सफलता की कुंजी है

(भूमिका – परिश्रम की अनिवार्यता-परिश्रम से विकास - लाभ-उपसंहार)

उत्तरः भूमिका:- मानव जीवन में परिश्रम बहुत आवश्यक हैं। परिश्रम ही सफलता की कुंजी हैं। परिश्रम द्वारा छोटा से छोटा मनुष्य बड़ा बन सकता है। परिश्रम के द्वारा सभी कार्य सम्भव हैं। यदि मनुष्य कोई भी काम कठोर परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प लेकर करता है तो वह उस काम में सफलता अवश्य पाता हैं।

परिश्रम की अनिवार्यता:- मानव जीवन में परिश्रम बहुत उपयोगिता रखती है। परिश्रम को अपनाकर ही मानव आसमान की बुलदियों को अवश्य छूता है। मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिश्रम उपयोगी है। चित्रकर या मूर्तिकार कम परिश्रम नहीं करता हैं। वह एख मूर्ति का निर्माण करने में उसको आकार देने में रात दिन एक कर देता है। तब कहीं जाकर वह जिस मूर्ति का निमार्ण करता है, उसमें सफल होता है। वह प्रसिद्ध मूर्तिकार कहलाता है। किसान भी कड़ी धूप एवं चिलचिलाती गर्मी में कृषि का अत्याधिक परिश्रम करता है और उसी के परिश्रम का फल पूरे संसार को मिलता है। महात्मा गाँधी परिश्रमी जीवन को सच्चा जीवन मानते थे। अतः जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम की अनिवार्यता बहुत ही आवश्यक हैं।

परिश्रम से विकास:- परिश्रम द्वारा मानव जीवन का विकास सम्भव है। प्राचीन काल में मानव का शरीर बन्दर जैसा था। वह अपने खाने तथा जीविका को चलाने के लिए निरन्तर परिश्रम करता रहता था। धीरे-धीरे मानव का विकास हुआ और वह कठोर परिश्रम कर एकदिन जानवर सीधा होकर सिर्फ पैरों के सहारे चलने लगा। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन महान वैज्ञानिक डार्विन ने तय किया हैं। परिश्रम द्वारा ही गुफाओं की दुनिया से निकलकर वह पेड़ों पर विचरण करते हुए जीविका की खोज में आगे बढ़ा। टोलो बनाकर रहने लगा और अपनी अधिक प्रगति के लिए वह खेती करने लगा। रहने के लिए घर बनाने लगा, छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण करने लगा। आझ नगरों में जो सभ्यता एवं संस्कृति दिखलाई पड़ती हैं, वह सब परिश्रम द्वारा सम्भव हुई है। जापान संसार में विकासशील देशों में इसलिए गिना जाने लगा है क्योंकि वहाँ के लोग संसार के सबसे अधिक परिश्रमी होते हैं।

परिश्रम के लाभ:- परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उशके मन से वासनाएँ और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है। परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरु करते हैं और कहाँ से कहाँ पर पहुँच जाते है। जिन लोगों के पास थोड़ा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

उपसंहार:- इस प्रकार परिश्रम ही मानव जीवन की सफलता की कुंजी हैं। हमें निरन्तर करते रहना चाहिये तभी हमें अच्छे फल की प्राप्ति होगो। यदि हमें दूसरों की सफलता देखनी है तो इस बात को पहले देखना चाहिये की उनकी इस सफलता के पीछे उनका परिश्रम लगा हुआ है। परिश्रम को देखकर सफलता का आंकलन हम करने लगें तो खुद भी प्रेरित होकर उतना ही परिश्रम करके वैसे ही सफल होने की हिम्मत जुटा सकते हैं।

(ग) खेल का महत्व

(भूमिका- खेल के प्रकार-खेल का महत्व - लाभ-मनोरंजन और खेल- निष्कर्ष)

उत्तर: परिचय: यदि हम एक पल के लिए इतिहास पर नजर डालें या किसी सफल व्यक्ति के जीवन पर प्रकाश डालें तो हम देखेंगे कि नाम, प्रसिद्धि और पैसा आसानी से नहीं मिलता है। कुछ शारीरिक और गतिविधियों यानी स्वस्थ जीवन और सफलता के लिए व्यक्ति की दृढ़ता, नियमितता, धैर्य और सबसे महत्वपूर्ण शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। खेल नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होने का सबसे अच्छा तरीका है। किसी भी व्यक्ति की सफलता मानसिक और शारीरिक ऊर्जा पर निर्भर करती है। इतिहास गवाह है कि, केवल प्रसिद्धि ही किसी राष्ट्र या व्यक्ति पर शासन करने की शक्ति रखती है।

खेल के फायदे: आज की व्यस्त दिनचर्या में खेल ही एकमात्र ऐसा साधन है, जो मनोरंजन के साथ-साथ हमारे विकास में भी सहायक है। यह हमारे शरीर को स्वस्थ और फिट रखता है। इससे हमारी आंखों की रोशनी बढ़ती है, हमारी हड्डियां मजबूत होती हैं और रक्त संचार बेहतर होता है। खेलने से हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम करता है। खेल एक व्यायाम है जो हमारे मस्तिष्क के स्तर का विकास करता है। ध्यान केंद्रित करने से शरीर के सभी अंग बेहतरीन तरीके से काम करते हैं, जिससे हमारा दिन अच्छा और खुशहाल गुजरता है। खेल हमारे शरीर को सुडौल और आकर्षक बनाते हैं, जिससे आलस्य दूर होता है और ऊर्जा मिलती है। अतः हमें रोगों से मुक्त रखता है। हम यह भी कह सकते हैं कि खेल व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके माध्यम से ही व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है और जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

खेल के प्रकार: खेल कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा गया है, इनडोर और आउटडोर। इनडोर गेम जैसे कार्ड, लूडो, कैरम, स्नेकसीड आदि मनोरंजन के साथ-साथ संज्ञानात्मक विकास में सहायक होते हैं, जबकि आउटडोर गेम जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, वॉलीबॉल आदि शरीर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होते हैं। इन दोनों श्रेणियों के बीच अंतर यह है कि आउटडोर खेलों के लिए बड़े मैदान की आवश्यकता होती है जबकि इनडोर खेलों के लिए इतने बड़े मैदान की आवश्यकता नहीं होती है। आउटडोर खेल हमारे शारीरिक विकास में फायदेमंद होते हैं और दूसरी ओर, ये शरीर को स्वस्थ, फिट और सक्रिय रखते हैं। जबकि इनडोर गेम्स हमारे दिमाग के स्तर को तेज करते हैं। साथ ही यह मनोरंजन का भी सबसे अच्छा साधन माना जाता है।

टीम भावना: खेल से 'टीम स्प्रिंट' का विकास होता है। 'टीम स्प्रिंट' का तात्पर्य प्रत्येक खिलाड़ी को अपने व्यक्तिगत व्यक्तित्व को टीम के व्यक्तित्व के साथ मिलाना है। इसमें टीम का हर खिलाड़ी सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि पूरी टीम के लिए खेलता है. 'टीम स्प्रिंट' की यह भावना जो वह खेल के माध्यम से अपने अंदर विकसित करता है, उसके व्यावहारिक जीवन की समस्याओं को हल करने में बेहद फायदेमंद साबित होती है।

निष्कर्ष: जीवन को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए हमारे शरीर का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। उसी प्रकार व्यायाम हमारे शरीर के संपूर्ण विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। खेलों में भाग लेने से हमारे शरीर का अच्छा व्यायाम होता है। यह बच्चों और युवाओं के मानसिक और शारीरिक विकास दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम कह सकते हैं कि खेलों का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इससे व्यक्ति आत्मविश्वासी और प्रगतिशील बनता है। किसी महापुरुष ने कहा है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। स्वस्थ जीवन सफलता प्राप्त करने की कुंजी है, इसलिए खेल हमारे जीवन को सफल बनाने में सहायक है।

(घ) राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान

(भूमिका-राष्ट्र निर्माण का अर्थ- राष्ट्र की माँग-राष्ट्र उत्थान में योगदान - उपसंहार)

उत्तरः भूमिका:- प्रत्येक युग में युवाओं को राष्ट्र का भविष्य माना जाता है क्योंकि उनके मन में कुछ कर गुजरने की अदभ्य साहस होता है। उनके मन में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक परिवर्तन करने की प्रबल इच्छा और शक्ति होती है। प्रत्येक राष्ट्र अपने युवाओं से यह आशा रखता है कि वह उसके नवनिर्माण और उत्थान में सहायक बनें और सुरक्षा के लिए भी सदैव तत्पर रहें। इतिहास इश बात का साक्षी है कि युवाओं ने अनपे दायित्व का पालन करते हुए राष्ट्र के उत्थान के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया है।

राष्ट्र-निर्माण का अर्थ:- राष्ट्र में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, वैज्ञानिक तथा कानून-व्यवस्था के निर्माण में योगदान देना ही राष्ट्र निर्माण हैं। इसके साथ ही देश में शांति-व्यवस्था स्नेह, सहानुभूति, भाइचारे की भावना को बनाए रखने के लिए कार्य करना भी राष्ट्र का निर्माण करना ही है। परन्तु युवा भी तभी देश के उत्थान में अपना योगदान कर सकते हैं जब उनका तन-मन और मस्तिष्क भली-भाँति विकसित हो। युवावर्ग को चाहिए कि वे युगानुरूप अच्छे संस्कार ग्रहण करें और विभिन्न विषयों का अध्ययन करके स्वयं को हर प्रकार से योग्य बनाएँ क्योंकि योग्य, कल्पनाशील, दृढ़ संकल्पी, परिश्रमी एवं स्वस्थ-सुन्दर व्यक्तित्व वाले ही राष्ट्र के उत्थान में उचित एवं अपेक्षित योगदान कर सकते हैं।

राष्ट्र की माँग:- राष्ट्र अपने उत्थान के लिए युवाओं से अखंड परिश्रम की माँग करता हैं। वह चाहता है की युवा लोभ, लालच और स्वार्थी को त्याग कर कर्मठता से उसके नव-निमार्ण में योगदान करें क्योंकि देश के उत्थान में ही उनका भी उत्थान है। उनके परिश्रम से देश का उत्थान होगा तो देश में खुशहाली आएगी तो युवाओं का जदीवन-स्तर भी ऊपर उठेगा। वे भी खुशहाल होंगे।

राष्ट्र-उत्थान में योगदान:- युवा वर्ग राष्ट्र के उत्थान में कई प्रकार से अपना योगदान कर सकता हैं। वह निरक्षरों को साक्षर, अशिक्षितों को शिक्षित करने में अपना योगदान दे सकता है। वह ऐसे असामाजिक और देशद्रोहियों पर दृष्टि रख सकता है जो अराजक, आतंकवादी, असामाजिक, अनैतिक और राष्ट्र निरोधी गतिविधियों में संलग्न रहते हैं। युवा-जन देश की सीमाओं की निगरानी रखते हुए उन्हें विदेशी शक्तियों से सुरक्षित रख सकते हैं। वे देश के आंतरिक शत्रुओं और राजनीतिज्ञों पर अकुंश लगा सकते हैं। जो अपने क्षुद्र स्वार्थो की पूर्ति के लिए देश का संतुलन बिगाड़ने या भंग करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। इसी तरह आज देश में रिश्वत, भ्रष्टाचार, कालावाजारी, धोखाधड़ी, अलगाववाद आदि अनेक तरह के गोरखधंधों का बोलबाला है। जागरूक एवं जाग्रत युवा शक्ति उसे जड़-मूल से मिटाने में अपना योगदान कर सकती है। युवा शक्ति सचेष्ट-सक्रिय होकर दहेज-प्रथा, जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद जैसी सामाजिक बुराइयों से छुटकारा दिला सकती हैं। वह बेकारी, तीब्र गति से बढ़ती जनसंख्या, प्रदूषण आदि के प्रति लोगों में चेतना उत्पन्न कर इन समस्याओं का निदान कर सकती हैं। अध्यापक, डॉक्टर, वकील, समाज-सेवक बनकर युवक शिक्षा का प्रचार-प्रसार, रोगियों, निर्बलों की सेवा। समाज में फैली गरीबी, सांप्रदायिक्ता, असमानता आदि कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष और सुनीतियों रीतियों के प्रति जागरुकता उत्पन्न कर देश को उन्नति की ओर ले जा सकते हैं। युवा ही देश के भावी कर्णधार है। इतिहास साक्षी है कि गांधी, नेहरु, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, पटेल आदि अनेकानेक युवाओं ने अपने त्याग, बलिदान और अदम्य साहस शक्ति से भारत को सदियों की दासता से मुक्ति दिलवाई थी। यदि प्रत्येक युवक अपनी शक्ति को पहचान कर, अपनी कार्य-शक्तियों को संचित एवं संकलित करके और संगठित होकर, इतिहास से प्रेरणा लेकर सकारात्मक कार्य करे तो निश्यत ही देश का उत्थान होगा।

4. (क) दिन-प्रतिदिन बढ़ती महँगाई के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए किसी भी एक स्थानीय पत्र के संपादक के नाम एक पत्र लिखिए।   5

उत्तरः सेवा में,

सम्पादक महोदय

दैनिक जागरण,

केशव नगर, गुवाहाटी

विषय: बढ़ती मँहगाई के संबंध में सम्पादक को पत्र।

महोदय,

मैं इस पत्र के माध्यम से प्रशासन तथा सरकार का ध्यान बढ़ती हुई महँगाई की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। आपसे अनुरोध है की मेरे पत्र को अपने समाचार पत्र के लोकवार्ण कालम में प्रकाशित करने का कष्ट करें।

आजकल देश में बढ़ती महँगाई से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। दैनिक प्रयोग की लगभग सभी वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। यहाँ तक की सब्जियों की कीमतों में अभूतपूर्व बृद्धि हुई हैं। महँगाई के कारण आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। देश के अधिकांश नेता महँगाई का रोना तो रोते हैं, सरकार भी इस विषय पर चिंता जताती हैं, पंरतु कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए जाते। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार भी महँगाई पर रोक लगाने में पूरी तरह असफल रही है। यदि सरकार दृढ़ता दिखाए तो बड़ी हुए कीमतों पर नियंत्रण लगा सकती हैं। अतः मेरा सरकार तथा प्रशासन से निवेदन है कि इश दिशा में तत्तकाल आवश्यक कदम उठाए जाएँ और महँगाई पर रोक लगाएँ।

धन्यवाद सहित,

भवदीय

मधु गोस्वामी

अथवा

(ख) आपके क्षेत्र में बच्चों के लिए एक पार्क विकसित करने के लिए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए। 5

उत्तरः सेवा में,

नगर निगम अधिकारी

गुवाहाटी

विषय: बहार कॉलोनी का पार्क बिकसित करने के बारे में

महोदय,

निवेदन है कि हम बहार कॉलोनी के निवासी हे हमारी कॉलोनी में नगर निगम के पार्क के लिए खाली भूमि पड़ी हैं। इस समय वह भूमि गंदगी का कारण बनी हुई है। कॉलोनी के लोग उसे कूड़ाघर समझकर इस्तेमाल करते हैं। हम चाहते हैं कि हम स्वय इस पार्क को विकसित और व्यवस्थित करें। इसके लिए आपकी अनुमति और विभागीय सहयोग चाहिए। हमारा निवेदन है कि आफ किसी दिन हम कॉलोनी वासियों के साथ बैठक करें और पार्क को विकसित करने की विकसित योजना बनवाएँ।

आशा है, आप अपना भरपूर सहयोग देंगे। हम कॉलोनीवासी हर तरह का सहयोग करने को तैयार हैं।

भवदीय अरनव सिंह

प्रतिनिधि बहार कॉलोनी, गुवाहाटी

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:  1x5-5


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