AHSEC| CLASS 12| HINDI (MIL)| SOLVED PAPER - 2018| H.S. 2ND YEAR
2018
HINDI
(MIL)
(MODERN INDIAN LANGUAGE)
Full Marks: 100
Pass Marks: 30
Time: Three hours
The figures in the margin indicate full marks for the questions.
1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
मैं स्नेह-सुरा का पान
किया करता हूँ, मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ, जग पूछ रहा उनको, जो जग की
गाते, मैं अपने मन का गान किया करता हूँ।
प्रश्न:
(i) ये पंक्तियाँ किस कविता
की है? 1
उत्तरः ये पंक्तियाँ आत्मपरिचय
कविता की है।
(ii) कवि का पूरा नाम लिखिए।
1
उत्तरः कवि का पूरा नाम है
हरिवंश राय बच्चन।
(iii) यह कविता किस शैली में
है? 1
उत्तरः यह कविता जीवंत भाषा और
संवेदनस्क्ति गेय शैली में है।
(iv) पंक्तियों की भाषा ब्रज
है या खड़ीबोली? 1
उत्तरः खड़ीबोली।
(v) 'जग' शब्द के दो समानार्थी
शब्द लिखिए। 1
उत्तरः विश्व, जगत।
2.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
चार्ली के नितांत अभारतीय
सौन्दर्यशास्त्र की इतनी व्यापक स्वीकृति देखकर राजकपूर ने भारतीय फिल्मों का एक सबसे
साहसिक प्रयोग किया। 'आवारा' सिर्फ 'दि ट्रैम्प' का शब्दानुवाद ही नहीं था बल्कि चार्ली
का भारतीयकरण ही था। वह अच्छा ही था कि राजकपूर ने चैप्लिन की नकल करने के आरोपों की
परवाह नहीं की। राजकपूर के 'आवारा' और 'श्री ४२०' के पहले फिल्मी नायकों पर हँसने की
और स्वयं नायकों के अपने पर हँसने की परम्परा नहीं थी। १९५३-५७ के बीच जब चैप्लिन अपनी
गैर-ट्रैम्पनुमा अंतिम फिल्में बना रहे थे तब राजकपूर चैप्लिन का युवा अवतार ले रहे
थे।
प्रश्न:
(क) इन पंक्तियों के लेखक
तथा पाठ का नाम लिखिए। 2
उत्तरः इन पंक्तियों के लेखक का
नाम है "विष्णु खरे" और पाठ का नाम है "चार्ली चैप्लिन यानी हम सब"।
(ख) राजकपूर कौन है? 2
उत्तरः राजकपूर भारतीय फिल्मी
जगत के एक प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक और निर्माता है। उन्हे भारत के चार्ली भी
कहा जाता है।
(ग) राजकपूर के किन्हीं दो
सिनेमाओं का नाम लिखिए। 2
उत्तरः 'मेरा नाम जोकर' और 'आवारा'।
(घ) अभारतीय सौन्दर्यशास्त्र
किसका था? 1
उत्तरः अभारतीय सौन्दर्यशास्त्र
चार्ली का था।
(ङ) राजकपूर ने किस प्रकार
के आरोप की परवाह नहीं की? 2
उत्तरः राजकपूर ने चैप्लिन की
नकल करने के आरोपों की परवाह नहीं की।
(च) राजकपूर द्वारा सिनेमा
बनाए जाने से पहले कौन-सी परम्परा नहीं थी? 2
उत्तरः राजकपूर द्वारा सिनेमा
बनाए जाने से पहले फ़िल्मी नायकों पर हँसने की और स्वयं नायकों के अपने पर हँसने
की परम्परा नहीं थी।
(छ) १९५३-५७ के बीच चैप्लिन
क्या कर रहे थे? 2
उत्तरः १९५३-५७ के बीच चैप्लिन
अपनी गैर-ट्रेम्पनुमा अंतिम फिल्मे बना रहे थे।
(ज) अर्थ लिखिए - सौन्दर्यशास्त्र,
परवाह, नितांत, गैर। 2
उत्तरः सौन्दर्यशास्त्र -
सोंदर्य बोध
परवाह - चिंता / फिक्र
नितांत - अत्यंत
गैर - पराया
3.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए: 10
(क) प्रदूषण
(प्रस्तावना - प्रदूषण के
प्रकार और कारण - हानि-प्रदूषण नियंत्रण-उपसंहार)
उत्तरः प्रदूषण शब्द का अर्थ होता
है चीजो को गन्दा करना। तदानुसार प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण, परिस्थिति की तंत्र
में असंतुलन का कारण बनता है। वर्तमान में हम प्राणघातक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की
समस्या से घिरे हुए हैं। प्रदूषण कुदरती प्राकृतिक पर्यावरण में किसी भी वाह्न या जहरीले
पदार्थ का मिश्रण होता है। इस शैतानीय सामाजिक समस्या के मुख्य कारण हैं, औद्योगीकरण,
वनों की कटाई और शहरीकरण प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उपोत्पाद जो की सामान्य
जीवन की दिनचर्या के रूप इस्तेमाल की जाती है।
प्रदूषण कई प्रकार का
होता है। प्रमुख प्रदूषण है - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण।
वायु प्रदूषण: महानगरों में यह प्रदूषण
अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल- कारखानों का धुआं, मोटर वाहनों का काला धुआं
इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाए
धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमें हुए पाती है। ये
कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते
हैं। यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता
है और वातावरण तंग होता है।
जल-प्रदूषण: कल-कारखानों का दूषित जल
नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का
दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती
है।
ध्वनि प्रदूषण: मनुष्य को रहने के लिए
शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल- कारखानों का शोर, यातायात का शोर,
मोटर-गाड़ियों की चिल्लपों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को
जन्म दिया है।
प्रदूषण के कारण: प्रदूषण को बढ़ाने में
कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनो का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन ऊर्जा
संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को
अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। धनी आवादी वाले क्षेत्रों में हरिलायी
न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।
प्रदूषण से हानि: प्रदूषण के कारण मानव के
स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया
है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर
में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती है। भोपाल गेस की घटना के कारण हजारों लोग
मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न
सर्दी-गमी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण
भी प्रदूषण है। प्रदूषण नियंत्रण : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए
चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएँ, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के
किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से
ओतप्रीत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल
को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।
(ख) खेल का महत्त्व
(प्रस्तावना - खेल से लाभ
- खेल के प्रकार - टीम भावना - उपसंहार)
उत्तरः प्रस्तावना: यदि
हम कुछ पलों के लिए इतिहास की और देखें या किसी सफल व्यक्ति के जीवन पर प्रकाश
डालें तो हम देखते हैं कि नाम, प्रसिद्ध और धन आसानी से नहीं आते हैं। इसके लिए
लगन, नियमितता, धैर्य, और सबसे अधिक महत्वपूर्ण कुछ शारीरिक और क्रियाओं अर्थात्
स्वस्थ जीवन और सफलता के लिए एक व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता
होती है। नियमित शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका
है। किसी भी व्यक्ति की सफलता मानसिक और शारीरिक ऊर्जा पर निर्भर करती है। इतिहास
बताता है कि, केवल प्रसिद्धी ही राष्ट्र या व्यक्ति पर शासन करने की शक्ति है।
खेल से लाभ: आजकल की व्यस्त दिनचर्या
में खेल ही एक मात्र साधन है, जो मनोंरजन के साथ साथ हमारे विकास में सहायक है। यह
हमारे शरीर को स्वस्थ एवं तंदुरुस्त बनाए रखता है। इससे हमारे नेत्रों की ज्योति
बढ़ती है, हड्डिया मजबूत एवं रक्त का संचार उचित रूप से होता है। खेलो से हमारे
पाचन तंत्र पूर्ण रूप से कार्य करता है। खेल एक व्यायाम है जिससे हमारे दिमागी
स्तर का विकास होता है। ध्यान केंद्रित करने से शरीर के सारे अंग पूर्ण रूप से काम
करते है, जिससे हमारा दिन अच्छा एवं खुसनूमा होता है। खेलो से हमारा शरीर सुडोल
एवं आकर्षक बनता है, जो आलस्य को दूर कर उर्जा प्रदान करता है। अतः हमें रोगो से
मुक्त रखता है। हम यह भी कह सकते है कि मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास में खेल
अपनी एहम भूमिका अदा करता है, इससे ही मनुष्य आत्मनिर्भर तथा जीवन में सफलता
प्राप्त करता है।
खेल का प्रकारः खेल कई तरह के होते है
जिन्हे मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा गया है इनडोर और आउटडोर। इनडोर खेल जैसे ताश,
लुडो, केरम सांपसीडी आदि ये मनोरंजन के साथ साथ बोधिक विकास में सहायक होते है,
वही आउटडोर खेल जैसे क्रिकेट, फूटबॉल, हॉकी, बेटमिंटन, टेनिस, वॉलीबॉल आदि शरीर को
स्वस्थ बनाए रखने में लाभकारी है। इन दोनो वर्गों में इतना अंतर है कि आउटडोर खेलो
के लिए बड़े मैदान की आवश्यकता होती है जबकि इनडोर खेलो में ऐसे बड़े मैदान की
ज़रूरत नही होती है। आउटडोर खेल हमारे शारीरिक विकास में लाभकारी होते है, वही
दूसरी ओर शरीर को स्वस्थसुडोल तथा सक्रिय बनाए रखते है। जबकि इनडोर खेल हमारे
दिमागी स्तर को तेज करते है। साथ ही साथ मनोरंजन का उत्तम स्त्रोत माने जाते है।
टीम स्प्रिटः खेलों से 'टीम स्प्रिट'
का विकास होता है। 'तीम स्प्रिट' का मतलब हर उस खिलाड़ी से है जो अपने पृथक-पृथक
व्यक्तित्व को टीम के व्यक्तित्व में विलीन कर दे। इसमें टीम का हर खिलाड़ी
सम्पूर्ण टीम के लिए खेलता है केवल अपने लिए नहीं। यह 'टीम स्प्रिट' की भावना जो
वह खेलों के द्वारा अपने अंदर विकसित करता है तो यही उसके व्यावहारिक जीवन की
समस्याओं का समाधान करने में अत्यधिक लाभदायक सिद्ध होता है।
उपसंहारः जैसे जीवन को व्यवस्थित
रूप से चलाने के लिए हमारे शरीर का स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है। उसी प्रकार
हमारे शरीर के पूर्ण विकास हेतु व्यायाम बहुत जरुरी है। खेलो में भाग लेने से
हमारे शरीर का अच्छा व्यायाम होता है। यह बालकों एवं युवाओ के मानसिक तथा शारीरिक
दोनो ही विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम यह कह सकते है कि खेलो का हमारे जीवन
में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इससे मनुष्य आत्मविश्वासी एवं प्रगतिशील बनता है।
किसी महान पुरुष ने कहा है कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता
है स्वस्थ जीवन ही सफलता प्राप्त करने की कुंजी है, इस तरह खेल हमारे जीवन को सफल
बनाने में सहायक है।
(ग) स्वतन्त्रता दिवस
(प्रस्तावना - स्वतन्त्रता
का अर्थ और स्वरूप - कर्तव्य-भावना-उपसंहार)
उत्तरः पन्द्रह अगस्त,
स्वतंत्रता दिवस भारत का प्रमुख पुनीत त्योहार है। कोटि-कोटि भारतवासियों के हृदय
की आशा-आकांक्षाओं का प्रतीक है यह स्वतंत्रता दिवस। इसके आगमन पर भारतीय जनता का
हृदय नवीन प्रेरणात्मक भावों से उदबुद्ध हो जाता है।
स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त
सन् १९४७ से ही मनाया जाने लगा है। इसकी प्राप्ति का इतिहास असंख्य शहीदों के
बलिदानों और लोक नायकों के आत्मत्याग के सुनहरे अक्षरों से अंकित हैं। उस तारीख से
पहले लगभग सौ साल तक भारतवर्ष विदेशी अंग्रेजों के शासन में रहा। महात्मा गांधी के
असहयोग आन्दोलन एवं अन्य क्रांतिकारियों की क्रान्ति पूर्ण कारनामे से यह देश
स्वतंत्र हुआ। महात्मा गांधी सन् 1915 ई० में दक्षिण अफ्रीका से लौटकर भारतीय
स्वतंत्रता आन्दोलन के सूत्रधार बने। महात्मा गांधी के आहवान पर देशवासियों ने
असहयोग आन्दोलन छेड़ दिया। हजारों लोग जेल जाने लगे, सैकड़ों लोगों को अंग्रेजों
की गोलियों का शिकार होना पड़ा। मगर भारतीय जनता दृढ़ संकल्पित थी। उसे स्वतंत्रता
के बिना चैन ना था।
पूरे देश में महात्मा
गांधी प्रदर्शित अहिंसात्मक आन्दोलन के साथ-साथ क्रान्तिकारी आन्दोलन भी सक्रिय
था। इसके कारण अंग्रेज सरकार को पूरी तरह ज्ञात हो गया कि भारतवासियों को अधिक
दिनों तक पराधीन रख पाना असंभव है। अन्त में अंग्रेज को १५ अगस्त सन् १९४७ को भारत
की स्वतंत्रता की घोषणा करनी पड़ी।
राष्ट्रीय जीवन में
स्वतंत्रता दिवस का महत्व अविस्मरणीय है। यह पिछले बलिदानों की याद दिलाता है, साथ
ही भविष्य की प्रेरणा भी देता है। हमारे देश में ऐसे कमजोरियाँ और फूट के तत्व
मौजूद है, जिन्हे, न मिटाया जाय तो हमारी स्वतंत्रता पर फिर से मुसीबत आ सकती है।
स्वतंत्र राष्ट्र की रक्षा में प्रस्तुत रहना ही जागरुक नागरिक का लक्षण है। अभी
हमारे राष्ट्र के चारों और दुश्मन के हथकंडे जारी है। इनसे राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु
हमें सदैव प्रस्तुत रहने की आवश्यकता है। स्वतंत्रता दिवस का महत्व इसी की प्रेरणा
देने में है। स्वतंत्रता दिवस आते ही भारत के अतीत और वर्तमान का स्मरण हो जाता
है। इस पवित्रतिथि के अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि इस की महत्ता हम कभी
घटने नहीं देंगे और हर क्षेत्र में भारत को समृद्ध बनाकर विश्व में नाम उज्ज्वल
करेंगे। स्वतंत्रता दिवस सच्चे नागरिक बनने की मांग हमसे करता है।
4.
अपने शहर की गंदगी तथा लोगों की लापरवाही का उल्लेख करते हुए किसी स्थानीय पत्र के
सम्पादक के नाम पत्र लिखिए। 5
उत्तरः
सेवा में
सम्पादक महोदय
दैनिक जागरण,
केशव नगर, गुवाहाटी
विषय: सम्पादक को शहर की
गंदगी समस्या हेतु पत्र
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार
पत्र दैनिक जागरण के माध्यम से अपने शहर की गंदगी तथा लोगों की लापरवाही की समस्या
की और अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। मैं गुवाहाटी के रहनेवाला हूँ,
आजकल हमारे शहर में सफाई की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सड़कों पर
जहाँ-तहाँ गन्दगी के टेर पड़े रहते है, इन टेरों पर मक्खी-मच्छर मंडराते रहते हैं।
नालियों में गन्दा पानी सड़ने से भयंकर दुर्गन्ध आ रही है। जिस कारण हैजा व डेंगू
का प्रकोप भी बढ़ने की आशांका है। सुचना दिए जाने पर भी कोई सफाई कर्मी सफाई देतु
नहीं आता है।
मैं आपके पत्र द्वारा इन
भ्रस्ट अधिकारियों की पोल खोलना चाहता हूँ। इस कार्य में आप के सहयोग के लिए मैं
आपका सदा आभारी रहूँगा।
धन्यवाद
निशिता कलिता
केशवनगर गुवाहाटी
दिनांक - 18.01.2018
अथवा
डाकिए की अनियमितता और
लापरवाही की शिकायत करते हुए अपने क्षेत्र के डाकपाल को पत्र लिखिए।
उत्तरः सेवा में,
श्रीमान डाकपाल महोदय,
मिलन नगर, नलबारी
विषय: डाकपाल को डाकिए की
अनियमितता के लिए पत्र
महोदय,
मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र मिलन
नगर में विगत दो महीनों से डाक वितरण में लगातार होने वाली अनियमितताओं की ओर
आकर्षित करना चाहता हूँ। इस क्षेत्र से संबंधित डाकिए की लापरवाही से
क्षेत्रवासियों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। डाक बक्से
से निष्कासन भी समय पर नहीं होता है जिससे कई-कई दिनों तक पत्र डाकघर तक ही नहीं
पहुँच पाते हैं।
अतः आपसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि
हमारे क्षेत्र की इस समस्या को गंभीरता से लें और इसकी छानबीन हेतु निदेर्श जारी
करें ताकि डाक-वितरण में होने वाली अनियमितताओं को दूर किया जा सके।
धन्यवाद सहित,
भवदीय
विकास गोस्वामी
मिलन नगर, नलबारी
दिनांक - 20/02/2018
5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 1×5=5
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