AHSEC| CLASS 12| HINDI (MIL) (MODERN INDIAN LANGUAGE)| SOLVED PAPER - 2024| H.S. 2ND YEAR

 

AHSEC| CLASS 12| HINDI (MIL) (MODERN INDIAN LANGUAGE)| SOLVED PAPER - 2024| H.S. 2ND YEAR

2024

HINDI

(MODERN INDIAN LANGUAGE)

Full Marks: 100

Pass Marks: 30

Time: Three hours

The figures in the margin indicate full marks for the questions.

 

1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 5

मनमोहनी प्रकृति की जो गोद में बसा है। 

सुख स्वर्ग-सा जहाँ है, वह देश कौन-सा है? जिसके चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है। 

जिसका मुकुट हिमालय, वह देश कौन-सा है?

नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।

सींचा हुआ सलोना, वह देश कौन-सा है?

जिसके बड़े रसीले फल, कंद, नाज मेवे।

सब अंग में सजे हैं वह देश कौन-सा है? 

प्रश्न: 

(क) प्रस्तुत काव्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 1

उत्तरः "भारत की प्राकृतिक सुंदरता"

(ख) कवि ने कविता में किस देश का उल्लेख किया है? 1

उत्तरः कवि ने भारत का उल्लेख किया है, जिसे प्रकृति की गोद में बसा हुआ और सुखदायक बताया गया है।

(ग) काव्यांश के अनुसार नदियों की क्या विशेषताएँ हैं? 1

उत्तरः काव्यांश में नदियों को "सुधा की धारा" के रूप में वर्णित किया गया है, जो यह दर्शाता है कि ये नदियाँ अमृतमय और जीवनदायिनी हैं।

(घ) कवि के अनुसार इस देश में कौन-सा सुख प्राप्त होता है? 1

उत्तरः कवि के अनुसार इस देश में सुख स्वर्ग के समान है, जो इसे विशेष बनाता है।

(ङ) कवि ने हिमालय के बारे में क्या कहा है? 1

उत्तरः कवि ने हिमालय को इस देश का मुकुट बताया है, जो इसकी ऊँचाई और गरिमा को दर्शाता है।

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:  15

बोलने का विवेक, बोलने की कला और पटुता व्यक्ति की शोभा है, उसका आकर्षण है। सुबुद्ध वक्ता अपार जनसमुह का मन मोह लेता है, मित्रों के बीच सम्मान और प्रेम का केंद्र-बिंदु बन जाता है। जो लोग अपनी बात को राई का पहाड़ बनाकर उपस्थित करते हैं, वे एक ओर जहाँ सुनने वाले के धैर्य की परीक्षा लिया करते हैं, वहीं अपना और दूसरे का समय भी अकारण नष्ट किया करते हैं। विषय से हटकर बोलने वालों से, अपनी बात को अकारण खींचते चले जाने वालों से तथा ऐसे मुहावरों और कहावतों का प्रयोग करने वालों से जो उस प्रसंग में ठीक ही न बैठ रहे हों, लोग ऊब जाते हैं। वाणी का अनुशासन, वाणी का संयम और संतुलन तथा वाणी की मिठास ऐसी शक्ति है जो हर कठिन स्थिति में हमारे अनुकूल ही रहती है, जो मरने के पश्चात् भी लोगों की स्मृतियों में हमें अमर बनाए रहती है। हाँ, बहुत कम बोलना या सदैव चुप लगाकर बैठे रहना भी बुरा है। यह हमारी प्रतिभा और तेज को कुंद कर देता है। ऐसा व्यक्ति गुफा में रहने वाले उस व्यक्ति की तरह होता है, जिसे बहुत दिनों के बाद प्रकाश में आने पर भय लगने लगता है।(अतएव कम बोलो, सार्थक और हितकर बोलो। यही वाणी का तप है। 

प्रश्न: 

(क) प्रस्तुत गद्यांश में व्यक्ति की शोभा और आकर्षण किसे बताया गया है और क्यों? 2

उत्तरः प्रस्तुत गद्यांश में व्यक्ति की शोभा और आकर्षण को बोलने के विवेक, कला और पटुता से बताया गया है। ये गुण व्यक्ति को आकर्षक बनाते हैं और उसे जनसमूह में सम्मान और प्रेम का केंद्र बनाते हैं।

(ख) किस प्रकार का बोलना लोग पसंद नहीं करते हैं? 2

उत्तरः लोग विषय से हटकर बोलने वाले, अपनी बात को अकारण खींचने वाले और ऐसे मुहावरों का प्रयोग करने वालों को पसंद नहीं करते हैं जो प्रसंग में उचित नहीं होते। ऐसे वक्ता सुनने वालों का धैर्य परीक्षा लेते हैं और समय नष्ट करते हैं।

(ग) कैसी भाषा हमें जीवन में लोकप्रिय और अमर बनाती है? 2

उत्तरः वाणी का अनुशासन, संयम, संतुलन और मिठास हमें जीवन में लोकप्रिय और अमर बनाती है। ये गुण कठिन परिस्थितियों में भी हमारे अनुकूल रहते हैं और लोगों की स्मृतियों में हमें जीवित रखते हैं। 

(घ) गद्यांश के अनुसार कम बोलना अच्छा क्यों नहीं है? 2

उत्तरः गद्यांश के अनुसार, कम बोलना अच्छा नहीं है क्योंकि यह हमारी प्रतिभा और तेज को कुंद कर देता है। ऐसा व्यक्ति गुफा में रहने वाले व्यक्ति की तरह होता है, जिसे प्रकाश में आने पर भय लगने लगता है।

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 1

उत्तरः उपर्युक्त गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक हो सकता है: "बोलने की कला और उसके महत्व"।

(च) गद्यांश में निष्कर्ष रूप में कौन-सा वाक्य है? 2

उत्तरः गद्यांश में निष्कर्ष रूप में यह वाक्य है: "कम बोलो, सार्थक और हितकर बोलो। यही वाणी का तप है।"

(छ) निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए: 2

पटुता; संयम अनुकूल; हितकर 

उत्तरः पटुता: कुशलता या दक्षता

संयम: नियंत्रण या धैर्य

अनुकूल: अनुकूलन या सहायक

हितकर: लाभकारी या फायदेमंद

(ज) विपरीतार्थी शब्द लिखिए: 2

सम्मान; संतुलन; कठिन; प्रकाश 

उत्तरः सम्मान: अपमान

संतुलन: असंतुलन

कठिन: सरल

प्रकाश: अंधकार

3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए: 10

(क) परिश्रम सफलता की कूँजी है

(भूमिका – परिश्रम की अनिवार्यता - परिश्रम से विकास - लाभ - उपसंहार)

उत्तरः भूमिका: सफलता का मार्ग कभी भी आसान नहीं होता। यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ आती हैं। इस यात्रा में परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। "परिश्रम सफलता की कूँजी है" यह वाक्य हमें यह सिखाता है कि बिना मेहनत के हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते।

परिश्रम की अनिवार्यता: परिश्रम का अर्थ केवल शारीरिक श्रम नहीं है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक प्रयासों को भी शामिल करता है। किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना पड़ता है। शिक्षा, खेल, व्यवसाय, या कलाहर क्षेत्र में परिश्रम की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, एक छात्र को अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नियमित अध्ययन करना पड़ता है, जबकि एक एथलीट को अपने खेल में उत्कृष्टता पाने के लिए कठिन प्रशिक्षण करना होता है।

परिश्रम से विकास: परिश्रम न केवल हमें सफलता दिलाता है, बल्कि यह हमारे विकास का भी आधार होता है। जब हम मेहनत करते हैं, तो हम नई चीजें सीखते हैं, अपने कौशल को सुधारते हैं और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। यह हमारे व्यक्तित्व को निखारता है और हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है। उदाहरण के लिए, वैज्ञानिक अनुसंधान में सफल होने के लिए शोधकर्ताओं को लंबा समय और मेहनत लगानी पड़ती है।

लाभ: परिश्रम के कई लाभ होते हैं। सबसे पहले, यह हमें आत्म-निर्भर बनाता है। जब हम अपनी मेहनत से कुछ हासिल करते हैं, तो हमें गर्व महसूस होता है। इसके अलावा, मेहनत से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं, जो हमें मानसिक संतोष और खुशी देता है। अंततः, परिश्रम से हम दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। जब लोग हमारी मेहनत और सफलता को देखते हैं, तो वे भी प्रेरित होते हैं।

उपसंहार: अंत में, यह कहा जा सकता है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। बिना मेहनत के कोई भी सपना पूरा नहीं हो सकता। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने लक्ष्यों को पाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें और कभी हार न मानें। याद रखें, मेहनत का फल मीठा होता है और जो लोग मेहनत करते हैं, वे हमेशा अपनी मंजिल तक पहुँचते हैं।

(ख) जनसंचार माध्यम 

(भूमिका - प्रकार - सामाजिक जीवन में जनसंचार माध्यम का सुप्रभाव-कुप्रभाव — उपसंहार)

उत्तरः भूमिका: जनसंचार माध्यम, जिसे हम सामूहिक संचार के रूप में भी जानते हैं, समाज में सूचना के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह माध्यम लोगों के विचारों, भावनाओं और अनुभवों को साझा करने में मदद करता है। आज के डिजिटल युग में, जनसंचार माध्यम ने न केवल सूचना का प्रसार किया है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं को भी प्रभावित कर रहा है।

प्रकार: जनसंचार माध्यम मुख्यतः निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

(i) प्रिंट मीडिया: इसमें समाचार पत्र, पत्रिकाएँ और बुकलेट शामिल हैं। ये माध्यम सूचना को स्थायी रूप से प्रस्तुत करते हैं।

(ii) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया: इसमें टेलीविजन और रेडियो शामिल हैं। ये माध्यम तात्कालिकता के साथ सूचना का प्रसारण करते हैं।

(iii) डिजिटल मीडिया: इंटरनेट, सोशल मीडिया और ब्लॉग इस श्रेणी में आते हैं। ये प्लेटफॉर्म तेजी से जानकारी साझा करने और संवाद स्थापित करने की अनुमति देते हैं।

सामाजिक जीवन में जनसंचार माध्यम का सुप्रभाव: जनसंचार माध्यम का समाज पर कई सकारात्मक प्रभाव हैं:

(i) सूचना का प्रसार: यह लोगों को ताजगी भरी खबरें और जानकारी प्रदान करता है, जिससे वे जागरूक रहते हैं।

(ii) शिक्षा: विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से लोग ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

(iii) संवाद और सहभागिता: यह लोगों को अपने विचार व्यक्त करने और समाज में सक्रिय भागीदारी करने का अवसर देता है।

(iv) संस्कृति का संवर्धन: विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और गतिविधियों की जानकारी साझा करके यह सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देता है।

कुप्रभाव: हालांकि, जनसंचार माध्यम के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं:

(i) गलत सूचना: सोशल मीडिया पर फैली गलत सूचनाएँ समाज में भ्रम पैदा कर सकती हैं।

(ii) व्यक्तिगत गोपनीयता का हनन: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है।

(iii) अत्यधिक निर्भरता: लोग अक्सर इन माध्यमों पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं, जिससे वास्तविक जीवन की बातचीत कम होती है।

(iv) मानसिक स्वास्थ्य पर असर: सोशल मीडिया पर तुलना और प्रतिस्पर्धा के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

उपसंहार: जनसंचार माध्यम हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसके सकारात्मक प्रभावों को स्वीकार करते हुए हमें इसके नकारात्मक पहलुओं से भी सावधान रहना चाहिए। समाज को जागरूक करने, शिक्षा देने और संवाद स्थापित करने में जनसंचार माध्यम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही दिशा में उपयोग करने पर यह हमारे सामाजिक जीवन को समृद्ध बना सकता है। इसलिए, हमें इसे जिम्मेदारी से उपयोग करना चाहिए ताकि हम एक सकारात्मक और सूचित समाज का निर्माण कर सकें।

(ग) पुस्तकों का महत्व 

(भूमिका – पुस्तकों से होने वाले लाभ - मनोरंजन का साधन - पुस्तकें अमर निधि हैं - उपसंहार)

उत्तरः भूमिका: पुस्तकें मानवता की अमूल्य धरोहर हैं। ये ज्ञान, अनुभव और विचारों का संग्रह होती हैं, जो हमें न केवल जानकारी प्रदान करती हैं, बल्कि हमें सोचने और समझने की क्षमता भी देती हैं। पुस्तकों का महत्व समय के साथ बढ़ता गया है और आज के डिजिटल युग में भी इनकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई है।

पुस्तकों से होने वाले लाभ: पुस्तकों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे ज्ञान का भंडार होती हैं। विभिन्न विषयों पर लिखी गई पुस्तकें हमें नई जानकारी और दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। इसके अलावा, पढ़ाई के माध्यम से हम अपनी भाषा कौशल, लेखन क्षमता और सोचने की शक्ति को विकसित कर सकते हैं। पुस्तकें हमें इतिहास, विज्ञान, कला और संस्कृति के बारे में भी जागरूक करती हैं।

मनोरंजन का साधन: पुस्तकें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं होतीं, बल्कि ये मनोरंजन का भी एक महत्वपूर्ण साधन हैं। उपन्यास, कविताएँ, और कहानियाँ हमें एक नई दुनिया में ले जाती हैं, जहाँ हम विभिन्न पात्रों के अनुभवों से जुड़ते हैं। एक अच्छी किताब पढ़ने से हम तनाव को कम कर सकते हैं और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।

पुस्तकें अमर निधि हैं: पुस्तकें अमर निधि हैं क्योंकि वे समय की सीमाओं को पार करती हैं। जो विचार और ज्ञान एक लेखक ने अपने समय में व्यक्त किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन बन जाता है। महान लेखकों की रचनाएँ सदियों से पढ़ी जा रही हैं और उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। इस प्रकार, पुस्तकें न केवल वर्तमान में बल्कि भविष्य में भी महत्वपूर्ण रहेंगी।

उपसंहार: इस प्रकार, पुस्तकों का महत्व हमारे जीवन में अत्यधिक है। वे न केवल ज्ञान का स्रोत हैं, बल्कि मनोरंजन और मानसिक विकास का भी माध्यम हैं। हमें चाहिए कि हम पुस्तकों को अपने जीवन में शामिल करें और उनके द्वारा मिलने वाले लाभों का पूर्ण उपयोग करें। पुस्तकें हमारे लिए एक अमूल्य साथी की तरह होती हैं, जो हमें हर कदम पर मार्गदर्शन करती हैं। इसलिए, हमें नियमित रूप से पढ़ने की आदत डालनी चाहिए ताकि हम अपने जीवन को समृद्ध बना सकें।

(घ) स्वतन्त्रता दिवस 

(प्रस्तावना - स्वतन्त्रता का अर्थ - स्वरूप - कर्तव्य भावना — उपसंहार) 

उत्तरः प्रस्तावना: स्वतन्त्रता दिवस, 15 अगस्त, भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन हमें हमारे देश की स्वतंत्रता की याद दिलाता है, जब 1947 में भारत ने ब्रिटिश उपनिवेश से मुक्ति पाई। यह दिन न केवल हमारे लिए एक उत्सव है, बल्कि यह हमें अपने देश की संस्कृति, इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करने का अवसर भी प्रदान करता है।

स्वतन्त्रता का अर्थ: स्वतन्त्रता का अर्थ केवल बाहरी बंधनों से मुक्ति नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता, आत्म-सम्मान और अपने अधिकारों की रक्षा करने की क्षमता भी है। जब हम स्वतंत्र होते हैं, तो हम अपने विचारों, विश्वासों और जीवन के तरीके को चुनने में सक्षम होते हैं। स्वतंत्रता हमें अपने सपनों को साकार करने का अवसर देती है और हमें अपने देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।

स्वरूप: स्वतन्त्रता दिवस का स्वरूप बहुत ही भव्य और उत्साहपूर्ण होता है। इस दिन देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राजधानी दिल्ली में लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है, जिसमें देशभक्ति के गीत गाए जाते हैं और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। स्कूलों और कॉलेजों में भी इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिसमें छात्र-छात्राएं निबंध, भाषण और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं।

कर्तव्य भावना: स्वतन्त्रता केवल अधिकार नहीं है, बल्कि यह कर्तव्यों का भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। हमें यह समझना चाहिए कि स्वतंत्रता के साथ-साथ जिम्मेदारियाँ भी आती हैं। हमें अपने देश के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए और समाज के विकास में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए दूसरों के अधिकारों का सम्मान करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।

उपसंहार: स्वतन्त्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि हम एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक हैं और हमें इस स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उसे आगे बढ़ाने के लिए कार्य करें। आइए, हम सभी मिलकर इस दिन को एक नई प्रेरणा के रूप में मनाएं और अपने देश को एक बेहतर स्थान बनाने का संकल्प लें।

4. (क) दिन-प्रतिदिन बढ़ती महँगाई के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए किसी भी एक स्थानीय पत्र के संपादक के नाम एक पत्र लिखिए। 5 

उत्तरः संपादक

[पत्रिका का नाम]

[पता]

[दिनांक]

प्रिय संपादक,

विषय: दिन-प्रतिदिन बढ़ती महंगाई पर चिंता

मैं [आपका नाम], [आपका पता] का निवासी, आपकी प्रतिष्ठित पत्रिका के माध्यम से महंगाई की बढ़ती समस्या पर अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूँ। वर्तमान समय में महंगाई ने आम आदमी के जीवन को प्रभावित किया है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ रहा है।

हाल ही में खाद्य पदार्थों, ईंधन और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। इस महंगाई के कारण न केवल लोगों की क्रय शक्ति कम हो रही है, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी गिरावट आ रही है। विशेष रूप से, गरीब और मजदूर वर्ग के लोग इस स्थिति से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इसमें मूल्य स्थिरीकरण और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उचित नीतियां बनाना शामिल होना चाहिए। इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने चाहिए ताकि वे अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकें।

मैं आपके माध्यम से इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आप इसे अपने पत्र में शामिल करेंगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

[आपका नाम]

[आपका संपर्क नंबर]

[आपका ईमेल (यदि आवश्यक हो)]

अथवा

(ख) अपने शहर की सड़कों की दुर्दशा पर चिंता और खेद प्रकट करते हुए नगर पालिका के अध्यक्ष को पत्र लिखिए। 5 

उत्तरः नगर पालिका अध्यक्ष को पत्र

[आपका नाम]

[आपका पता]

[शहर का नाम]

[तारीख]

नगरपालिका अध्यक्ष

[नगरपालिका का नाम]

[नगरपालिका का पता]

प्रिय श्री/श्रीमती [अध्यक्ष का नाम],

विषय: शहर में सड़कों की खराब स्थिति के संबंध में

मैं [आपका नाम], [आपके क्षेत्र/गांव का नाम] का निवासी हूं। इस पत्र के माध्यम से मैं अपने शहर की सड़कों की अत्यंत खराब स्थिति पर अपनी चिंता और खेद व्यक्त करना चाहता हूं।

हाल के दिनों में हमने देखा है कि हमारे शहर की सड़कों में गड्ढे, टूट-फूट और अन्य समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। बारिश के मौसम में ये समस्याएं और भी गंभीर हो जाती हैं, जिससे न केवल यातायात बाधित होता है बल्कि नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है। कई जगहों पर सड़कें इतनी खराब हो गई हैं कि उनसे गुजरना मुश्किल हो गया है।

सड़कों की यह खराब स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के लिए परेशानी का कारण बन रही है, बल्कि इससे शहर की छवि भी प्रभावित हो रही है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इस समस्या को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द उचित कदम उठाएँ ताकि हमारे शहर की सड़कों को सुधारने का काम शुरू हो सके।

आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में।

धन्यवाद।

सादर,

[आपका नाम]

[आपका संपर्क नंबर]

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 


(coming soon)


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